अर्थ, काम, देह सब नश्वर है|
रूह को छूने वाला ही इश्वर है||
वो अतुल है, पावन है, वो पृथक है|
उसका मर्म, उसका ही जीवन सार्थक है||
पृथ्वी और अम्बर का अजब नाता है|
रूह की गहरायी शायद दर्शाता है||
आत्म का अस्तित्व तू ही है|
खुशी, चंचलता, हर्ष रूही है||
रूह को छूने वाला ही इश्वर है||
वो अतुल है, पावन है, वो पृथक है|
उसका मर्म, उसका ही जीवन सार्थक है||
पृथ्वी और अम्बर का अजब नाता है|
रूह की गहरायी शायद दर्शाता है||
आत्म का अस्तित्व तू ही है|
खुशी, चंचलता, हर्ष रूही है||
तेरा हर लफ्ज़ ज़िन्दगी के नए मायने सिखाता है|
करुणामयी पलकों को जैसे प्रेम से सहलाता है||
सरलता, सुमति, सौंदर्य का तू संगम है|
माया से मुक्त, तू ही खुशी, तू ही ग़म है||
करुणामयी पलकों को जैसे प्रेम से सहलाता है||
सरलता, सुमति, सौंदर्य का तू संगम है|
माया से मुक्त, तू ही खुशी, तू ही ग़म है||